Thursday 19 January 2017

                                तुषा शर्मा जी के साथ साक्षात्कार 




गतिज: आपका एक गीत है -------
   "ये ढीले ढक्कन होते हैं " जो कि पति-पत्नी के रिश्ते पर आधारित हैं | हमारे कॉलेज के वरिष्ठ सहपाठी जल्द ही इस वर्ग में शामिल होने वाले हैं , आप उनके लिए कुछ कहना चाहेंगी ?

महोदया: वैसे तो हास्य रस मेरा मुख्य रस नहीं है | मेरा मुख्य रस श्रृंगार है पर "वाह क्या बात है" में मुझे एक दिन यह अवसर मिला कि मैं हास्य लिखूँ और उसका शीर्षक था -
"आजकल के पति" तब मैंने यह लिखा था | मैं आपके वरिष्ठ सहपाठियों के लिए बस यही कहना चाहूंगी कि एक पति का पत्नी के जीवन में काफी अहम भूमिका होती है और यदि इस भूमिका में दोनों एक दूसरे पर समर्पित रहेंगे तो जीवन , भविष्य , आने वाला जो कल होगा वह बहुत खुशहाल होगा | इस रिश्ते में प्यार भी जरुरी है,एकता भी और  नोकझोंक भी जरुरी है | इसलिए इस रिश्ते को जीवन में अच्छे से निभाइएगा|


अंकिता :वैसे  तो महोदया आपने काफी कवियों को पढ़ा होगा फिर भी आपके पसंदीदा कवि कौन हैं और उनकी क्या बातें आपको अच्छी लगती हैं ?

महोदया: मैं महादेवी वर्मा जी और निराला जी को पसंद करती हूँ और जयशंकर प्रसाद जी भी मुझे पसंद हैं |कुछ निम्नलिखित पंक्तियाँ जो जयशंकर प्रसाद
जी द्वारा लिखी गयीं हैं मुझे बेहद पसंद हैं ---
                     "प्यारे जियो ,जगहित करो,दैह चाहे नान ,
                      प्राणा धारे ,तरुण सरले ,प्रेम की मूर्ति राधे |
                      निर्मा ताने अथक ,तुमसे क्यों किया मुझे अलग ||"
पहले मैं वीर रस लिखा करती थी फिर मैंने इन पंक्तियों से प्रेरित होकर श्रृंगार रस लिखना शुरू किया |


रिपोर्टर : अंकिता यादव                                   एडिटर :पुष्पक धाकड़ 
               गतिज जैन 

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