Tuesday 15 April 2014

आरजू



मेरी हर एक अदा में छुपी थी मेरी तम्मना .

तुम ने महसूस न की ये और बात है ,

  
मैंने हर दम तेरे ही ख्वाब देखे ,

मुझे ताबीर न मिली ये और बात है,



मैंने जब भी तुझसे बात करना चाही,

मुझे अल्फाज़ ना मिले ये और बात है,



मै मेरी तम्मना के समंदर मैं दूर तक निकला ,

मुझे साहिल ना मिला ये और बात है,



कुदरत ने लिखा था तुझे मेरी तम्मना में,

तेरी किस्मत मैं ना था ये और बात है……

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