वन्दनीया मा शारदे! सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे अपने संस्थान अटल बिहारी वाजपेयी- भारतीय सूचना प्रौघौगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर के स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर मिला है। भारतवर्ष के 70वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हमारे संस्थान मे एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। संस्थान के मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित ध्वजारोहण स्थल पर जब मैं 70वे स्वाधीनता दिवस के प्रातः काल पहुँचा तब वहां का वातावरण बेहद ऊर्जावान,चिरस्मरणीय तथा आनंददायक था। हर किसी के चेहरे पर जोश, ऊर्जा एवं आनंद की स्वतः अनुभूति हो रही थी।मैं अपने साथियों के साथ बैठा कार्यक्रम के शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहा था। समय के साथ-साथ मेरी तथा मेरे साथियों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी।
प्रातः लगभग 9 बजे हमारे संस्थान के निदेशक एवं मुख्य अतिथिगण के आगमन के साथ ही हमारी प्रतिक्षा की घड़ियां समाप्त हुईं। हमारे संस्थान की रक्षा में सदैव तत्पर रहने वाले सभी रक्षक अपनी पंक्तियों में क्रमबद्ध किसी भारतीय सैनिक की टुकड़ी से कम नही लग रहे थे। अब उनके प्रमुख ने हमारे संस्थान के निदेशक एवम् मुख्य अतिथिगण को सलामी दी। उसके बाद सम्मानित निदेशक जी ने ध्वजारोहण किया। एक स्मरणीय,रोचक तथा अद्भुत पल!!
अब कार्यक्रम प्रारम्भ हो चुका था। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कुमारी सौम्या अग्रवाल ने 70वें स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम की बेहद गंभीर भूमिका बांधकर संस्थान की छात्राओं को समूह गान के लिए आमंत्रित किया। उनके मधुर संगीत से वातावरण अत्यंत शानदार हो गया। सभी बालिकाओं ने अपनी मधुर आवाज से दर्शकदीर्घा में ऊर्जा का संचार कर दिया।
अब बारी थी प्रशांत कुमार की, अपने ओजस्वी भाषण में प्रशांत ने यह सन्देश दिया कि हम सभी को आजादी की महत्ता समझनी होगी।सबको साथ लेकर आगे बढ़ना होगा ताकि अपने राष्ट्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाया जा सके। इसके बाद रमन प्रभाकर ने अपने मधुर संगीत से गंभीर हो चुके वातावरण को आनंददायक बनाने का सफल प्रयास किया।
जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ रहा था, वैसे-वैसे रोचकता बढ़ती जा रही थी। हर किसी के मन में यही उत्सुकता थी कि अब आने वाला प्रतिभागी अपनी किस कला से परिचय करायेगा? अगले प्रतिभागी थे चिरंजीवी ऋतिक एवं अभिनव। दोनों ही छात्रों ने अपनी नृत्य कला अनूठा प्रदर्शन करते हुए दर्शक दीर्घा में हलचल मचा दी।
इसके बाद आई०पी०जी० प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा किया गया समूह नृत्य सभी के दिलो को छू गया। अर्जन सिंह एवं समूह नाम से इस समूह ने अपने बेहतरीन तालमेल तथा नृत्यकला का प्रदर्शन किया। इस समूह में मेरे कई सहपाठी अर्जन सिंह, मेहुल भुटालिया, अंकित शर्मा,प्रकाश कुमार,अभिनव एवं रिंग मिलन थे।तैयारी के लिए बेहद कम समय में इस समूह ने जिस तरह का प्रदर्शन किया वह प्रशंसा के लायक था।
अब बारी थी आकाश कुमार सोनी की जिन्होंने अपनी संगीत कला से स्वाधीनता दिवस के 70वें प्रातः काल को अत्यंत ऊर्जावान बना दिया। उन्होंने अपनी मधुर आवाज तथा वाद्य यंत्र पर कुशलता से नाचती उंगलियों के जादू से सभी दर्शकों में आजादी का जोश भरने का प्रयास किया।अब बारी थी संस्थान के निकट स्थित विद्यालय के छात्र छात्राओं की। देखने में नन्हे एवम् छोटे लगने वाले बालक बालिकाओं ने अपनी नृत्य कला का ऐसा प्रदर्शन किया कि दर्शक दांतो तले ऊँगली दबा कर रह गए।
अब कार्यक्रम अपनी रफ्तार पकड़ चुका था। संस्थान की छात्राओं ने देशभक्ति से परिपूर्ण फ़िल्म फना के गीत “देश रंगीला रंगीला……………देश मेरा रंगीला” पर अत्यंत मनोहारी नृत्य का प्रदर्शन किया। अब कार्यक्रम की संचालिका सौम्या ने मुख्य अतिथि के०एस०कुशवाहा को अपने वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया।अपने ओजस्वी एवम् गरिमापूर्ण भाषण में उन्होंने हम सभी छात्रों का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में संस्थान के छात्र रोहित कुमार ने गिटार पर अपनी उँगलियों तथा दर्शकों पर अपनी आवाज का जादू बेहद आनंददायक तरीके से बिखेरा। भैया रोहित ने सभी भारतीयों में आजादी का जोश भर देने वाले गीत “है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूँ” को गाया।
अब कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में ऋषभ पटेल ने अपनी ओजस्वी वाणी में राम प्रसाद बिस्मिल रचित जोशीली कविता “सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है” गाकर वातावरण को ऊर्जावान बना दिया। इसके पश्चात कार्यक्रम की संचालिका सौम्या ने अंत में संस्थान के निदेशक ऐस०जी० देशमुख को सभी छात्रों के मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया।आदरणीय निदेशक महोदय ने अपने गंभीर, मार्मिक तथा प्रेरणादायी सन्देश ने जो कुछ भी कहा वह हम सभी के लिए स्मरणीय है। निदेशक महोदय के वक्तव्य के साथ ही कार्यक्रम का समापन हो गया।
-आर्यन सचान
( आई पी जी प्रथम वर्ष)
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