इससे फर्क नहीं पड़ता
कि आदमी कहाँ खड़ा है
पथ पर या रथ पर ?
तीर पर या प्राचीर पर ?
फर्क इससे पड़ता है की
जहाँ खड़ा है
या जहाँ उसे खड़ा होना पड़ा है
उसका धरातल क्या है ?
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता
टूटे मन से कोई खड़ा नही होता |
आदमी की पहचान
उसके धन या आसन से नहीं होती
उसके मन से होती है,
मन की फकीरी पर
कुबेर की सम्पदा भी रोती है |
कि आदमी कहाँ खड़ा है
पथ पर या रथ पर ?
तीर पर या प्राचीर पर ?
फर्क इससे पड़ता है की
जहाँ खड़ा है
या जहाँ उसे खड़ा होना पड़ा है
उसका धरातल क्या है ?
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता
टूटे मन से कोई खड़ा नही होता |
आदमी की पहचान
उसके धन या आसन से नहीं होती
उसके मन से होती है,
मन की फकीरी पर
कुबेर की सम्पदा भी रोती है |
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