जो तुम साहिल की बाते सुन पाती
तो तुम जान लेती मै क्या सोचता हूँ ||
वो विधा जो तुम्हे भी जान पाती ,
तो तुम जान लेती मै क्या सोचता हूँ ||
वो आवाज तुमको भी जो भेद जाती ,
तो तुम जान लेती में क्या सोचता हूँ ||
मासूमियत का जो तुम्हारे पर्दा सरकता ,
खिड़कियो से आगे भी देख पाती ,
आँखों से आदतों की जो पलके हटाती,
तो तुम जान लेती मै क्या सोचता हूँ ||
जो ख्वाब देखे मैंने काश उन्हें जान जाती ,
मेरी मंजिलो को पाने में साथ निभा पाती ,
मेरी तरह होता अगर खुद पर जरा भरोसा
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आती ||
महक गगन की जो चूमती तुम्हे ,
ख्वाइशे तुम्हारी नया जन्म पाती ,
खुद दुसरे जन्म में मेरी हम्न्फ्ज बनने ,
कुछ दूर तुम भी साथ साथ आती ||
जो मेरे चक्षु में बहते नीर को देख पाती ,
तो मेरी भावनाओकी धारा को समझ पाती ,
तब कुछ दूर तुम भी साथ साथ आती||
तब कुछ दूर तुम भी साथ साथ आती ||
achi hai
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